ग़ज़ल लिख दू
कभी बेखुदी में कभी संभल संभल लिख दू
आ अपने होठों से तेरे होठों पे इक ग़ज़ल लिख दू
कुछ लिखू पहले सी कुछ बदल बदल लिख दू
आ अपने होठों से तेरे होठों पे इक ग़ज़ल लिख दू
तेरे होठो को कभी गुलाब कभी कमल लिख दू
आ अपने होठों से तेरे होठों पे इक ग़ज़ल लिख दू
कभी तेरे आगोश में कभी आगोश से निकल लिख दू
आ अपने होठों से तेरे होठों पे इक ग़ज़ल लिख दू
कभी लिखू संभल के कभी फिसल फिसल लिख दू
आ अपने होठों से तेरे होठों पे इक ग़ज़ल लिख दू
—ध्यानू