ग़ज़ल -राम हारे रावणों के अब दशहरे हो गए
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ग़ज़ल
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चल गया जादू सभी अंधे औ बहरे हो गए
ज़ालिमों के ज़ुल्म के दिन अब सुनहरे हो गए //१
था किया वादा बनाएगा महल सपनों का वो
यूँ किया फितरत कि गड्ढे और गहरे हो गए //२
चुप है हाकिम चुप है मुंसिफ चुप है सारा ये जहाँ
मुजरिमों की लिस्ट में मासूम चेहरे हो गए //३
हाथ में अब आ गया है ज़ालिमों के वो हुनर
राम हारे रावणों के अब दशहरे हो गए //४
झूठ बोले हर सभा में और पा जाए सनद
सच जो बोले उस ज़ुबाँ पे सख़्त पहरे हो गए //५
— क़मर जौनपुरी