ग़ज़ल- मुद्दतों बाद हमे नींद सुहानी आयी
ग़ज़ल
काफ़िया- आनी
रदीफ़- आयी
2122 1122 1122 22
आपको देख हमे याद पुरानी आयी।
ठहरे दरिया में वही आज रवानी आयी।
याद में तेरी गुजारी हैं अकेले रातें
मुद्दतों बाद हमे नींद सुहानी आयी।
दर्द दिल आज सुनाएं तो सुनाएं कैसे
बात ग़म की न कभी हमको बतानी आयी।
बैठकर छाँव में उसका मैं निहारूँ रस्ता
वस्ल-ए-उम्मीद थी लेकिन न दिवानी आयी।
उनमें क़ुरवत का नशा दिल में भरा था, लेकिन
हसरतें दिल कि हमे फिर न सजानी आयी।
जिसके ख़ातिर कभी छोड़ा था जमाना हमने
आज उसको ही मुहब्बत न निभानी आयी।
जिंदगी चैन से कटती थी हमारी पहले
अब मुसीबत में है जबसे ज़वानी आयी।
अभिनव मिश्र अदम्य