ग़ज़ल- मिलेंगे अब जमी अंबर, सितारों की गवाही में
मिलेंगे अब जमी अंबर, सितारों की गवाही में।
मिलन मधुमास आयेगा, नजारों की गवाही में।।
जुबा खामोश है मेरी, जो चाहे अब सजा देदो।
अदालत फैसला देगी, इश़ारों की गवाही में।।
बहे दरिया मुहब्बत का, जो बाँहों के किनारे हों।
मज़ा मौजों का अब लीजे, किनारों की गवाही में।।
ज़रा गेसू जो तुम खोलो, घटा बन कर बरस जाओ।
सनम से अब मिलन होगा, वो बाहों की गवाही में।।
हवा गुलज़ार हो जाये, म़हक गुलशन उठेंगें तब।
खिलेंगे ‘कल्प’ दिलवर भी, बहारों की गवाही में।।