ग़ज़ल- नज़र जहाँ भी दौड़ाई
नज़र जहाँ भी दौड़ाई।
इक तस्वीर उभर आई।।
घर भी तो वीरान हुआ।
खो गई घर की रानाई।।
मातम पसरा है घर में
वापिस आजा सौदाई।।
आस पिता की अब टूटी।
बिलख बिलख रोये माई।।
बेवा बेबस है बीबी।
साथ न छोड़ो हरजाई।।
वादा कैसे तोड़ दिया।
सात वचन का हरजाई।।
रोते और बिलखते सब।
कहाँ गया बड्डे भाई।।
लौट कभी न तू आएगा।
एक यही बस सच्चाई।।
तेरा कोई विकल्प नही।
कौन करेगा भरपाई।।
श्रद्धा सुमन समर्पित कर।
भीड़ भी कुछ न कर पाई।।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’
मेरे बाल सखा अजीज दोस्त स्व. मेहरबान सिह पटेल को श्रद्धा सुमन समर्पित