ग़ज़ल- दिल में मिलन की आस रहने दो…
दिल में मिलन की आस रहने दो।
सूखे लबों पे प्यास रहने दो।।
वो तेरा है तू उसका है सच है।
छोड़ो उसी को खास रहने दो।।
जब भूख से बेहाल भारी हो।
भोजन करो उपवास रहने दो।।
अब काम की बातें मुनासिब ही नहीं।
तो फालतू बकवास रहने दो।।
जब ‘कल्प’ को दिलवर बना डाला।
दिलवर को अपने पास रहने दो।।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’
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