ग़ज़ल- दिल में धड़कन सी है, वो बहुत खास है
दिल की धड़कन में है, वो बहुत ख़ास है।
रूह में वो बसी मुझको एहसास है।।
चाँद मांगे ये दिल, इक़ खिलौना समझ।
वो हकीकत नहीं सिर्फ आभास है।।
प्यास थी जिस मिलन, की सदा से सनम।
लब से लब जो मिले, बुझ गई प्यास है।
बिन तेरे जिस्म तो मेरा बेजान है।
मेरे जीवन की बस इक तू ही आस है।।
मैं भटकता सराबों में क्यों प्यार के।
तू हकीकत नही सिर्फ़ एहसास है।।
आरजू दिल में थी तेरे दीदार की।
दीद तेरी मिले तो मुझे प्यास है।।
वस्ल की आग से यह बदन जल रहा।
प्यार बरसाइये अब तो मधुमास है।।
साथ छोड़ोगे तुम ‘कल्प’ मर जाएगा।
जिंदगी फ़िर नही आएगी रास है।।
✍?? अरविंद राजपूत ‘कल्प’ ?✍?
बह्र-ए-मुतदारिक मुसम्मन सालिम
अरकान – फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन
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