ग़ज़ल:-तुम हमारे हम तुम्हारे हो गए हैं आज से…
तुम हमारे हम तुम्हारे हो गए हैं आज से।
एक दूजे के सहारे हो गये हैं आज से।।
मिल गईं खुशियां हमें अब कष्ट सारे मिट गए।
दुःख भरे पल भी नज़ारे हो गये हैं आज से।।
है मिलन अंबर धरा का, चाँद-सूरज साक्षी।
अब धरा के सारे तारे हो गये हैं आज से।।
थाम कर इक़ दूसरे की बाहें हम आगे बढें।
तुम नदी तो हम किनारे हो गए हैं आज से।।
खुश हवा में झूमती अटखेलियां करती लता।
पास आने के इशारे हो गये हैं आज से।।
प्यार ने नफ़रत मिटा दीं, हार सब रंजिश गईं।
‘कल्प’ दुश्मन भी दुलारे हो गए हैं आज से।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’