ग़ज़ल- तुमको चाहा रब से ज्यादा, तुम मेरे भगवान हो
तुमको चाहा रब से ज्यादा, तुम मेरे भगवान हो।
भक्त बन करता मैं पूजा, तुम मेरा ईमान हो।।
क्यों तेरे बिन रह न पाऊं, एक पल भी अब सनम।
दिल में धड़कन बन धड़कते, तुम ही मेरी जान हो।।
सात फेरों का न बंधन, ख़ून का रिश्ता नही।
अज़नबी दिल में बसे तुम, तुम बने पहचान हो।।
कर समर्पण मन से अपने, दास तेरा बन गया।
ज़ाँ भी दे दूँ ऐ सनम, ग़र तेरा फ़रमान हो।।
‘कल्प’ रोशन हो गया.जब, यार मेरा आ गया।
मिट गये संताप जब से, तुम बने मेहमान हो।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’ ✍?
बह्र- रमल मुसम्मन महज़ूफ़
वज़्न:- फाएलातुन फाएलातुन फाएलातुन फाएलुन
2122. 2122. 2122. 212