ग़ज़ल- तुझे ग़म को छुपाना चाहिए था
ग़ज़ल- तुझे ग़म को छुपाना चाहिए था
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तुझे ग़म को छुपाना चाहिए था
नहीं आँसू बहाना चाहिए था
वो फोटो ले रहा था जब तुम्हारा
जरा सा मुस्कुराना चाहिए था
रुलाते हैं जो लम्हें जिंदगी के
उन्हें तो भूल जाना चाहिए था
मुझे तुम फोन तो करते रहे हो
कभी घर पे भी आना चाहिए था
किसी इंसानियत के देवता को
नहीं इतना सताना चाहिए था
जहाँ दिन रात का अहसास भी हो
कि घर ऐसा बनाना चाहिए था
नहीं “आकाश” तुमसे है शिकायत
मगर वादा निभाना चाहिए था
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 08/02/2020