ग़ज़ल का प्रयास
दूसरी ग़ज़ल का प्रयास
मापनी — २२ २२ २२ २२
माँ से जब मैं सब कहता हूँ,
माँ को ही मैं रब कहता हूँ।।०१ ।।
दे कर माँ ने जीवन पियारा,
माँ को ही मैं लब कहता हूँ।।०२ ।।
आना- जाना न था लेकिन,
जब वो आई तब कहता हूँ।।०३ ।।
माँ के बिन घर लगता सूना ,
माँ को ही मैं अब कहता हूँ।।०४ ।।
माँ की गोदी सबसे न्यारी,
प्रताप को ही सब कहता हूँ।।०५ ।।
प्रो० राहुलप्रताप सिंह