ग़ज़ल- ऐ भारत हमारा, ज़हां का गुरु है।
ऐ भारत हमारा, ज़हां का गुरु है।
वतन पे फ़िदा ज़ां हो ऐ आरजू है।।
रहा सर हमेशा हिमालय से ऊँचा।
ऐ सारा ज़माना तेरे सिरनिगू है।।
गुलिस्तां है भारत, सभी फूल इसमें ।
सभी मज़हबों का यहाँ रंग़-ओ-बू है।।
ज़माने की जन्नत है कश्मीर मेरा।
वो दिल है वतन का बड़ा ख़ूबरू है।।
वो नापाक दामन ज़माने ने देखा।
तेरी पाक ये दाग़दा आबरू है।।
बहे ‘कल्प’ हिंदू मुसलमाँ या सिख का।
हैं भाई सभी भारती का लहू है।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’
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बह्रे-मुतकारिब मुसम्मन सलीम
अरकान- फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन