Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2016 · 1 min read

ग़ज़ल (आज के हालात )

ग़ज़ल (आज के हालात )

आज के हालात में किस किस से हम शिकवा करें
हो रही अपनों से क्यों आज यारों जंग है

खून भी पानी की माफिक बिक रहा बाजार में
नाम से पहचान होती किसमें किसका रंग है

सत्य की सुंदर गली में मन नहीं लगता है अब
जा नहीं सकते है उसमें ये तो काफी तंग है

देखकर दुशमन भी कहते क्या करे हम आपका
एक तो पहले से घायल गल चुके सब अंग है

बँट गए है आज हम इस तरह से देखिये
हर तरफ आबाज आती क्या अजीव संग है

जुल्म की हर दास्ताँ को, खामोश होकर सह चुके
ब्यक्त करने का मदन ये क्या अजीव ढंग है

ग़ज़ल (आज के हालात )
मदन मोहन सक्सेना

281 Views

You may also like these posts

वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
Ravi Prakash
आओ फिर गीत गंध के गाएं
आओ फिर गीत गंध के गाएं
Suryakant Dwivedi
ऐसे भयावह दौर में
ऐसे भयावह दौर में
Dr. Kishan tandon kranti
🙅आज का शेर🙅
🙅आज का शेर🙅
*प्रणय*
फ़रेब
फ़रेब
Sakhi
बहुत हो गया कोविद जी अब तो जाओ
बहुत हो गया कोविद जी अब तो जाओ
श्रीकृष्ण शुक्ल
क्या हमें ग़ुलामी पसंद है ?
क्या हमें ग़ुलामी पसंद है ?
CA Amit Kumar
हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,
हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,
Aditya Prakash
ख्वाबो में मेरे इस तरह आया न करो
ख्वाबो में मेरे इस तरह आया न करो
Ram Krishan Rastogi
* रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है *
* रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है *
भूरचन्द जयपाल
Innocent love
Innocent love
Shyam Sundar Subramanian
23/16.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/16.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नसीब
नसीब
Minal Aggarwal
दिल पे कब मेरा इख़्तियार रहा ।
दिल पे कब मेरा इख़्तियार रहा ।
Dr fauzia Naseem shad
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण
Pratibha Pandey
रज के हमको रुलाया
रज के हमको रुलाया
Neelam Sharma
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
शिव प्रताप लोधी
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
पूर्वार्थ
अगर तलाश करूं कोई मिल जायेगा,
अगर तलाश करूं कोई मिल जायेगा,
शेखर सिंह
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हाथ पताका, अंबर छू लूँ।
हाथ पताका, अंबर छू लूँ।
संजय कुमार संजू
म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को,
म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को,
पंकज परिंदा
मानव का मिजाज़
मानव का मिजाज़
डॉ. एकान्त नेगी
डॉ भीमराव अम्बेडकर
डॉ भीमराव अम्बेडकर
नूरफातिमा खातून नूरी
14. O My Birdie !
14. O My Birdie !
Ahtesham Ahmad
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
बरसात
बरसात
Dr.Pratibha Prakash
झूठा प्यार।
झूठा प्यार।
Sonit Parjapati
Loading...