ग़ज़ल।यहा सब दिल के सौदागर।
ग़ज़ल।यहा सब दिल के सौदागर।
हुआ बदनाम है साहिल हिफ़ाजत कौन करता है ।
यहाँ सब दिल के सौदागर मुहब्बत कौन करता है ।।
लुटेरे रहनुमां निकले वफ़ाई की नही हसरत ।
यहाँ झूठी हुक़ूमत की बग़ावत कौन करता है ।
लगे है बागवाँ करने रकीबों की ही पैमाइस ।
सजा बेज़ार है गुलशन हिमाक़त कौन करता है ।
तवज्जो मिल रही काफ़ी यहाँ बेशक़ गुनाहों को
निहायत बेगुनाहों की वक़ालत कौन करता है ।।
अदाओं में निगाहों में मिलेंगे प्यार के झांसे ।
यक़ीनन तोड़ जाते दिल शरारत कौन करता है ।।
सभी धोख़े की दुनिया है ज़रूरत कर रहे पूरी ।
मिला मौक़ा तो तन्हाई मुरौव्वत कौन करता है ।।
भरो न दर्द तुम’रकमिश’किसी मासूम चेहरे पर ।
ग़मो में डूबने की अब ज़रूरत कौन करता ह ।।
राम केश मिश्र’रकमिश’