ग़ज़ल।मुझे हर शख़्स प्यारा है ।
ग़ज़ल। मुझे हर शक़्स प्यारा है ।।
मापनी-1222 1222 1222 1222
किसे मांगू ख़ुदा से मैं यहाँ हर शक़्स मेरा है ।
जिसे मै रहनुमा समझा वही दिल का लुटेरा है ।।
मिला जो अज़नबी मुझको दिलों का घर दिखा बैठा ।
मेरे दिल मे जरा झाँको लुटेरों का बसेरा है ।।
गये वो भूल तन्हा दिल उन्हे खुशियां मिली बेसक ।
मेरे आग़ोश मे फ़ैला जफ़ा- ऐ- ग़म का घेरा है ।।
दिखायी प्यार की राहें जलाकर रौशनी दिल की ।
उन्हें मंजिल मिली अबतक मेरे घर पर अंधेरा है ।।
कहाँ तक ढूढ़ कर लाता दिलों के लाख़ टुकड़ों को ।
रहा जो हौसला बाक़ी ग़मों मे ही बिखेरा है ।।
ज़रा नज़दीक आ देखों खुदे है फ़लसफ़े तेरे ।
तुम्हारे ज़ख्म इस दिल पर अब तक जो उकेरा है ।।
वफ़ाई लाख़ तू कर ले मिलेगा ख़ाक ही रकमिश, ।
ख़ुदा का है खुदा लेगा न मेरा है न तेरा है ।।
राम केश मिश्र