ग़ज़ल।बस बेवफ़ाई प्यार में।
ग़ज़ल।। बस बेवफ़ाई प्यार में ।
मुश्किलों से मिल यहां पाती रिहाई प्यार में ।
दे रहे सब रहगुज़र मसलन दुहाई प्यार में ।।
जो कभी नाकाम थे मंजिले उनको मिली न ।
आज बेशक़ कर रहे है रहनुमाई प्यार में ।।
ह्मवफ़ा सब हो गये इश्क़ के मारे मुवक्किल ।
जल रहे है आज़कल बन रोशनाई प्यार में ।।
साहिलों पर आज बर्पी हैं निरा ख़ामोशियां ।
कौन देता अब फिरे दर दर गवाही प्यार में । ।
इश्क़ के झांसो मे फँसकर दाँव पर है जिंदगी ।
मौत से बेहतर भली बेशक़ जुदाई प्यार में ।।
हो गया मुझको यकीं इल्म उनको हो न हो ।।
लम्हा लम्हा ग़मसुदा क़ीमत चुकाई प्यार में ।।
मंजिले उनके नसीबों में लिखी थी मिल गयी ।
या ख़ुदा मुझको मिली बस बेवफ़ाई प्यार में ।।
आरजू है ख़ाख रकमिश गर्दिशे थी उम्रभर ।
जख़्म ख़ाकर ज़िन्दगी मैंने लुटाई प्यार में ।।
© राम केश मिश्र