ग़ज़ल।करे जज़्बात की ख़िदमत वही इंसान होता है ।
ग़ज़ल। करे जज़्बात की खिदमत वही इंसान होता है ।।
लगाकर तोड़ देना दिल बड़ा आसान होता है ।
करे जज़्बात की खिदमत वही इंसान होता है ।।
वफ़ा के नाम पर देखा मुझे साहिल मिला तन्हा ।
सच मे रास्ता सच का बड़ा सुनसान होता है ।।
लगाकर जान की बाज़ी यहा खुद भूल जाये जो ।
इमानत की नज़र में तो वही ईमान होता है ।।
बड़ी ही खुशनसीबी से कोई दिल को लुटाता है
बना रिस्ता खुदा का ही कोई फरमान होता है ।।
यहाँ कमसिन कमीनों के हुजूमो के ही जलवे है ।
ज़रा सी हमवफ़ाई पर बड़ा अभिमान होता है ।।
यहाँ हमआम से ‘रकमिश’ करेगा बेवफ़ाई जो ।
रहे वह उम्र भर ज़िंदा मग़र बेज़ान होता है ।।
राम केश मिश्र’रकमिश’
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