ग़ज़ल।आइना उसको दिखाना चाहिए ।
“””””””””””'””””””””””””””ग़ज़ल””””””””””””'””””””””””””
आग़ बदले की बुझाना चाहिए ।
हर किसी को मुस्कुराना चाहिए ।
नफ़रतों से ज़ख़्म ही मिलता सदा ।
रंजिशों को भूल जाना चाहिये ।
जिंदगी बस चार दिन की चाँदनी ।
प्यार से इसको सजाना चाहिए ।
मंज़िलों को छोड़कर दहलीज़ पर ।
फ़र्ज़ दुनियां मे चुकाना चाहिए ।
फ़र्क जिसको है नही सच झूठ का ।
आइना उसको दिखाना चाहिए ।
छोड़कर अब इश्क़ मे हैवानियत ।
दिल्लगी दिल से निभाना चाहिए ।
हो रही “रकमिश बड़ी तौहीनियां ।
अश्मिता सबको बचाना चाहिए ।
रकमिश सुल्तानपुरी