ग़ज़ल- जबसे निकला है बेवफा कोई
ग़ज़ल- जबसे निकला है बेवफा कोई
★★★★★★★★★★★★★★★★
जबसे निकला है बेवफा कोई
मर्द हो के भी रो रहा कोई
…
देखो कैसे उदास बैठा है
जैसे गुजरा हो हादसा कोई
…
जिसको दिल का करार कहते हैँ
दे दे उसका मुझे पता कोई
…
उसके अश्कोँ पे खुश हुआ था मैँ
इसकी दे दे मुझे सजा कोई
…
तुम तो पत्थर को मात देते थे
कैसे आँखोँ मेँ छा गया कोई
…
कुछ तो ऐसे हालात होते हैँ
यूँ ही करता नहीँ ख़ता कोई
…
चोट ‘आकाश’ हैँ पुराने से
जख़्म दे दे मुझे नया कोई
– आकाश महेशपुरी