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26 Aug 2021 · 1 min read

तुझसे प्यार करना गुनाह क्यूँ हुआ

ग़र महकना फूलों का अदा है जनाब ,
उसपे मेरा बहकना गुनाह क्यूँ हुआ ।
चहचहाना जो होती पंछी की अदा,
उसपे मेरा चहकना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

**************************************

वैसे घर में मेरे कोई खिड़की नहीं,
उसपे फाटक को भी बंद रखता हूँ मैं।
रोशनदानी से फ़िर भी जो झाँके किरन,
उसमें मेरा नहाना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

**************************************

लाख पर्दों में रखता हूँ खुदको मगर,
चाहता हूँ पड़े ना किसी की नज़र।
बैरी शीतल हवा जो लगाए अगन,
उसमें मेरा झुलसना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

**************************************

माना चाहत की मुझको इजाज़त नहीं,
इश्क़ काफ़िर है कोई ईबादत नहीं।
हुस्न के साये में दिख जो जाए खुदा,
सजदे सर का झुकना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

**************************************

कोई कलियों का मारा मैं भंवरा नहीं,
नज़र-ए-आशियाना में संवरा नहीं।
राह दलदल सा निर्जन हो कोहरा घना,
तो मेरा डूब जाना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

**************************************

रात फूलों सी रिमझिम सुहानी नहीं,
तपती गर्मी है दिन भी रेतीली सही।
ओस की बूंदें मोती पिरोएं अगर,
उसमें मेरा संवरना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

**************************************

ना ही मोदक ना मदिरा बहारों में है,
जो नशा ख़ूबसूरत नज़ारों में है।
कोई दिलकश शमा गुदगुदा जाए मन,
तो मेरा लड़खड़ाना गुनाह क्यूँ हुआ॥
ग़र महकना …

??????????????

✍️✍️✍️✍️✍️ by :
? Mahesh Ojha
? 8707852303
? maheshojha24380@gmail.com

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 842 Views

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