ग़रीब
सूरज ख़रीदा जा सकता तो
पैसेवाले ख़रीद लेते
और अपने ही आकाश में उसे चमकने को कहते
एक हिदायत के साथ
कि फ़क़त अमीरों के आंगन में ही रोशनी करना
वो क्या है कि ग़रीब घिनौने होते हैं
बद्बुदार और बीमार होते हैं
और गंदगी से भरे होते हैं
और ये सब उनकी खूबसूरत ज़िंदगी को
बदसूरत बना देगा,
गऱीबों की तरह।
वो ये भी जानते हैं कि अगर
रोशनी मिली तो ग़रीब पढ़ेंगे
और आगे बढ़ेंगे,
जो बिल्कुल अच्छा नहीं होगा।
ग़रीब का अमीर बनना सुनने में भी अच्छा नहीं लगता।
कितना अश्लील होता होगा वो मंजर जब,
एक गऱीब अमीर की कुर्सी पर बैठता होगा।
-Johnny Ahmed ‘क़ैस’