ग़रीबी की शाम(ईदमुबारक)
काश हमारी ग़रीबी की शाम भी क़रीब हो जाए,
कपड़े, मकाँ न मिलें पर रोटी तो नसीब हो जाए ।।
कि मोहब्बत से जो देखने लगे हर इंसाँ, इंसाँ को,
तो हर इक शख़्स की भी क्या ख़ूब ईद हो जाए ।।
#हनीफ़_शिकोहाबादी✍️
काश हमारी ग़रीबी की शाम भी क़रीब हो जाए,
कपड़े, मकाँ न मिलें पर रोटी तो नसीब हो जाए ।।
कि मोहब्बत से जो देखने लगे हर इंसाँ, इंसाँ को,
तो हर इक शख़्स की भी क्या ख़ूब ईद हो जाए ।।
#हनीफ़_शिकोहाबादी✍️