ख़्वाशे
मन में हजार सपने थे
जिंदगी को एक नया मोड़ मिलेगा
नई आशाये जागी
मन कहता कभी ये कभी वो करूँगा
पर सपने जाने कहा खो गए
शादी का दिन
हजारो की ख्वाशो के साथ
किया गृह प्रावेश
मानो हो गया हो कोई गुनाह
एक ही आवाज हर तरफ से
क्या क्या लाई हो।
कुछ नही लाई
कैसे घर में शादी कर दी
हो गयी लड़के की जिंदगी बरबाद
ये सुनकर मन था उदास
कह नही सकती आस पास
मन में उठा एक सवाल
सब कुछ क्या होता है दहे
लडकी और भावनाओ की
नही होती क़द्र
अरमानो को डालते चिता में
खुशी के लिए करते है शादी
आशाओ को खोखला करता है दहेज
शादी नुमा गुलाब में
कब तक रहेगा ये काटा
कम करता रहेगा
इसकी खूबसूरती को।।