Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2022 · 1 min read

ख़्वाब

काश ख़्वाबों को हैसियत पता होती देखनेवाले की
न दिल टूटने की झंझट होती
न अश्क़ बहने का मसअला।

हर कोई अपनी औक़ात के दायरे में रहता
तालाब में समंदर बनने की कोई हसरत न जागती
कोई जुगनू चाँद के साथ मुक़ाबला न करता।

दिन भर की थकन उतारने को
रात तकिये पर सिर रखते और खो जाते
खो जाते अपनी औक़ात के ख़्वाबों के जहाँ में।

मगर इतनी दरियादिली ख़्वाबों के दिल में कहाँ
किसी का चैन देखकर ये ख़ुद बे-चैन हो जाते है
उन्हें तो बस मज़ा आता हैं
देखनेवाले का हाल देखकर।

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
2 Comments · 355 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
#तुम्हारा अभागा
#तुम्हारा अभागा
Amulyaa Ratan
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
सत्य कुमार प्रेमी
जवाब ना दिया
जवाब ना दिया
Madhuyanka Raj
3645.💐 *पूर्णिका* 💐
3645.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दिल लगाया है जहाॅं दिमाग न लगाया कर
दिल लगाया है जहाॅं दिमाग न लगाया कर
Manoj Mahato
बिछड़कर मुझे
बिछड़कर मुझे
Dr fauzia Naseem shad
मैं पीपल का पेड़
मैं पीपल का पेड़
VINOD CHAUHAN
वर्तमान परिस्थिति - एक चिंतन
वर्तमान परिस्थिति - एक चिंतन
Shyam Sundar Subramanian
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
ये कैसी दीवाली
ये कैसी दीवाली
Satish Srijan
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
नेताम आर सी
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
पापी करता पाप से,
पापी करता पाप से,
sushil sarna
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
Neelofar Khan
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेला
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेला
Rakshita Bora
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
दुकान मे बैठने का मज़ा
दुकान मे बैठने का मज़ा
Vansh Agarwal
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
Phool gufran
दूसरे का चलता है...अपनों का ख़लता है
दूसरे का चलता है...अपनों का ख़लता है
Mamta Singh Devaa
लौट कर आने की अब होगी बात नहीं।
लौट कर आने की अब होगी बात नहीं।
Manisha Manjari
अपना-अपना
अपना-अपना "टेलिस्कोप" निकाल कर बैठ जाएं। वर्ष 2047 के गृह-नक
*प्रणय*
मिले हम तुझसे
मिले हम तुझसे
Seema gupta,Alwar
इस नये दौर में
इस नये दौर में
Surinder blackpen
"जोकर"
Dr. Kishan tandon kranti
शीशे की उमर ना पूछ,
शीशे की उमर ना पूछ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
Ajit Kumar "Karn"
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
Loading...