ख़्वाब की तरह
अपनी ख्वाहिशों को मैंने गुलाब की तरह देखा।
तेरे चेहरे को मैने आफ़ताब की तरह देखा।
तुझे देखा है ख्वाबों में अक्सर मिलते हुए,
उस ख़्वाब को भी मैने बस ख़्वाब की तरह देखा।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
अपनी ख्वाहिशों को मैंने गुलाब की तरह देखा।
तेरे चेहरे को मैने आफ़ताब की तरह देखा।
तुझे देखा है ख्वाबों में अक्सर मिलते हुए,
उस ख़्वाब को भी मैने बस ख़्वाब की तरह देखा।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी