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12 Jun 2022 · 1 min read

ख़्याल आया है

******* ख्याल आया है *******
***************************

उनको देखा तो ये ख्याल आया है,
क्यों ना हमने उनका साथ पाया है।

चलती बातें तो होती मुलाकातें,
कुदरत की कैसी ये मोह माया है।

अब भी कोई बिगड़ी ही नही बातें,
आशिक गुलदस्ता भर फूल लाया है।

दिल तो यारो पागल और दीवाना,
हंसीं मुखड़ा देखा जुल्म ढाया है।

मनसीरत मन मे पसरी निराशा है,
जिसको चाहा उसको दूर पाया है।
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
61 Views
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