ख़्याली पुलाव पकाने वालो
ख़्याली पुलाव पकाने वालो
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ख़्याली पुलाव पकाने वालो,ताशों के महल बनाने वालो।
कुछ सपनों के पूर्ण होने से,ये जीवन नहीं सजा करता है।।
हल्दी गाँठ मिली समझ बैठे,
पंसारी बस एक तुम्हीं तो हो।
सूरज को दीपक दिखा बैठे,
संसारी बस एक तुम्हीं तो हो।
शोहरत पर इतराने वालो,अपनी औक़ात दिखाने वालो।
दर्पण को तोड़ बिखराने से,ये कुरूप नहीं छिपा करता है।।
अन्याय किया और भूल गए,
ताक़त से तुमने लाचार किया।
ढ़ोंग दिखावा कर बढ़ते चले,
झूठी बातों का प्रचार किया।
दोगली नीति चलाने वालो,शोषण को ख़ूब बढ़ाने वालो।
कुछ काले बादल छिपाने से,ये सावन नहीं मिटा करता है।।
वाणी में कोयल बैठी हुई,
हृदय पर गिरगिट राज करे सदा।
उपदेश गीता से भी सटीक,
मन स्वयं का है पर चिकना घड़ा।
बन बगुल भक्त रिझाने वालो,औरों का हक छल खाने वालो।
पुष्प-पल्लव इत्र बनाने से,ये उपवन नहीं मिला करता है।।
–आर.एस.प्रीतम
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