ख़ुशनुमा किस तरह सफ़र होगा
ज़िन्दगी में अगर मगर होगा
ख़ुशनुमा किस तरह सफ़र होगा
गर ठहरना सफ़र में है , ठहरो
पर ठहरना जहां शजर होगा
बिन बताये चला गया घर से
कौन जाने वो अब किधर होगा
दूसरों को जो कर रहा बेघर
एक दिन वो भी दर बदर होगा
क्यूँ फ़क़त राख से जली बस्ती
राख में भी कोई शरर होगा
पार होगा कभी भला कैसे
डूबने का जिसे भी डर होगा
प्यार का है ख़ुमार हम पर भी
है यकीं उन पे भी असर होगा
मान लेते हैं बात सब उसकी
पास उसके कोई हुनर होगा
कर के इमदाद वो रुका ही नहीं
नेकदिल एक वो बशर होगा
आज ‘आनन्द’ कर चलो नेकी
फ़ायदा इसका उम्रभर होगा
– डॉ आनन्द किशोर