ख़ुद्दारी
खुद्दारी की कीमत को न, यूँ आंको दौलत से कभी,
ख़ैरात में मिलने वाले वह, सोने का बर्तन नहीं लेते !
भले फांको भरी ज़िन्दगी में, करना पड़ जाए बसर,
ग़ुलामी की बेड़ी पहन, पकवानों की झूठन नहीं लेते!!
कल की नही फ़िकर उनको, जो जीते हैं आज में,
इस भागती ज़िन्दगी के, कभी उलझन नहीं लेते!
जब तक जिये बेख़ौफ़ जियेंगे, जिंदादिली शान से,
वह अटकती साँसे, व डर भरी धड़कन नहीं लेते!!
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २४/१०/२०१८)