ख़ुदा मुझको देना
———————————–
ख़ुदा मैंने तुमसे इतना कहा था।
मुझे जीस्त देना नहीं ताज देना।
सरल मन देना सबल तन लेकिन।
कभी किन्तु, न नखरे न नाज देना।
जीने के क्रम में मरें सौ दफे भी।
पर,मृत्यु में जीवन का अहसास देना।
जीवन में जय जो नहीं दे सके तो।
जीवन में पर, गिरने न गाज देना।
जो चाहे कांच सी बाँहों को उसको सौष्ठव देना।
मुझको पर, जीवन में हमराज देना।
चलना है मुझको तप्त तपे रेत पर।
साथी ख़ुदा मुझको जांबाज देना।
ख़ुदा मुझको जीने का अंदाज देना।
गजल देना मुझको मुझे साज देना।
हर्फों ने तरकीब बयाँ का न जाना।
इन ओठों को मीठी सी आवाज देना।
इस मुहब्बत में जिस्मानी बू है भरी।
मुझको इश्वर के मर्मों का राज देना।
जिक्र मस्जिद का मन्दिर का होता रहे।
मुझको इंसानियत की बस लाज देना।
——————————————