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14 Oct 2016 · 1 min read

ख़ुदा जाने कैसी हवा ये चली है

इतनी भी हमसे , क्या बेरुखी है
न तू ही मिला न खबर ही मिली है
**************************
टूटे हैं जज्बात शाखों से दिल की
ख़ुदा जाने कैसी हवा ये चली है
**************************
कपिल कुमार
14/10/2016

Language: Hindi
193 Views
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