ख़ुदा के करम से कमी कुछ नहीं है
ख़ुदा के करम से कमी कुछ नहीं है
मगर प्यार बिन ज़िन्दगी कुछ नहीं है
मिरे इश्क़ की प्यास के सामने तो
कोई प्यास या तिश्नगी कुछ नहीं है
फ़क़त एक जुगनू अंधेरे का दुश्मन
दिया एक हो तीरगी कुछ नहीं है
न किरदार ऊँचा न अख़लाक़ अच्छा
जो नीयत ग़लत आदमी कुछ नहीं है
नज़ाकत नफ़ासत हो चाहत भरा दिल
मगर यार बिन आशिक़ी कुछ नहीं है
अमीरों को चाहा सियासत ने अक्सर
ग़रीबों की ख़ातिर कभी कुछ नहीं है
हुआ नोट ग़ायब सफ़ाई या जादू
अभी हाथ में था अभी कुछ नहीं है
तो ‘आनन्द’ बोलो सुनी कुछ नहीं थी
अगर बात तुमसे कही कुछ नहीं है
– डॉ आनन्द किशोर