शेर
अब तो ख़ाबों में भी नहीं आतें हैं वो ।
मैंने खुली नज़रो से कभी ख़्वाब नहीं देखा ।।
वह रोटी चुराकर चोर हो गया,
लोग मुल्क खा गए कानून लिखते-लिखते ।
अब तो ख़ाबों में भी नहीं आतें हैं वो ।
मैंने खुली नज़रो से कभी ख़्वाब नहीं देखा ।।
वह रोटी चुराकर चोर हो गया,
लोग मुल्क खा गए कानून लिखते-लिखते ।