ख़ता है बता
ख़ता है बता (सजल)
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जी क्या ख़ता है बता,
जो भी सजा है बता।
गुमसुम हुए आप जो,
कैसा नशा है बता।
आते नजर ना कहीं,
क्यों लापता है बता।
हो तंग करते हमें,
मिलता मज़ा है बता।
गर जान भी वार दूँ,
शिक़वा मिटा है बता।
है मांगता खैर भी,
सीरत गिला है बता।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)