क़िस्मत जिसकी रूठ गयी होगी
क़िस्मत जिसकी रूठ गयी होगी
उम्मीद उसकी सारी टूट गयी होगी
लेकर चला था सफ़ीना अपना दरिया में
लहरों से टकराकर कश्ती डूब गयी होगी
वफ़ा के किस्से सुनाते थे कल तक
बेवफ़ाई देख यारों की हिम्मत टूट गयी होगी
दिखा राह था राह जो चिराग अंधेरो में
चिराग़ बुझते ही परछाई भी रूठ गयी होगी
सहारा थी जो छड़ी राह में चलने का
छड़ी टूटते ही राह अधूरी छूट गयी होगी
पंख काट दिए जिस पंछी के उड़ने से पूर्व
खुले आसमाँ में उड़ने की ख्वाईश अधूरी छूट गयी होगी
दरख़्त सूख गए अबकी वर्ष आब की आस में
दोबारा खिलने की आस भी उनकी छूट गयी होगी
चुनावी मेंढक चुनाव में दे गए मीठी गोली वादों की
जितने की बाद उनकी सूरत नही दिखाई गयी होगी
भूपेंद्र रावत
29।09।2017