Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2020 · 1 min read

क़िताबे

सोचता हूँ कभी
किताबो के पन्ने
में झाँक कर
किताबे मौन में भी
बहुत कुछ कहती है
जिंदगी की सच्चाई
बताती है
आईने की तरह
बस तुम उसे
पढ़ते रहना
मंथन करते रहना
सोचते रहां
एक दिन वह विचार
तुम्हारा जीवन बन जाए
तुम्हारा जीवन संभल जाए ।
– आनंदश्री

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...
बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...
Niharika Verma
फिर से आयेंगे
फिर से आयेंगे
प्रेमदास वसु सुरेखा
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
नई रीत विदाई की
नई रीत विदाई की
विजय कुमार अग्रवाल
2823. *पूर्णिका*
2823. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पानी जैसा बनो रे मानव
पानी जैसा बनो रे मानव
Neelam Sharma
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
Ranjeet Kumar Shukla- Hajipur
Ranjeet Kumar Shukla- Hajipur
हाजीपुर
स्वयं पर विश्वास
स्वयं पर विश्वास
Dr fauzia Naseem shad
#शीर्षक:-बहकाना
#शीर्षक:-बहकाना
Pratibha Pandey
यादों से निकला एक पल
यादों से निकला एक पल
Meera Thakur
आने वाले वक्त का,
आने वाले वक्त का,
sushil sarna
सबकी विपदा हरे हनुमान
सबकी विपदा हरे हनुमान
sudhir kumar
"त्याग की देवी-कोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
बच्चों की ख्वाहिशों का गला घोंट के कहा,,
बच्चों की ख्वाहिशों का गला घोंट के कहा,,
Shweta Soni
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
Sonam Puneet Dubey
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश- 6🍁🍁
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश- 6🍁🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
..
..
*प्रणय*
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
राम : लघुकथा
राम : लघुकथा
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
चश्मा
चश्मा
Awadhesh Singh
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखने वाले हैं अद्भुत योगी
कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखने वाले हैं अद्भुत योगी
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
डॉक्टर रागिनी
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...