क़िताबे
सोचता हूँ कभी
किताबो के पन्ने
में झाँक कर
किताबे मौन में भी
बहुत कुछ कहती है
जिंदगी की सच्चाई
बताती है
आईने की तरह
बस तुम उसे
पढ़ते रहना
मंथन करते रहना
सोचते रहां
एक दिन वह विचार
तुम्हारा जीवन बन जाए
तुम्हारा जीवन संभल जाए ।
– आनंदश्री