क़तअ
ये मत समझ के क़मर इसमे हाथ तेरा है
मेरे नसीब को महरूमियों ने घेरा है
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सियाह रात के जंगल खंगालता हूं मै
किसी ने मुझसे कहा था यहीं सवेरा है
ये मत समझ के क़मर इसमे हाथ तेरा है
मेरे नसीब को महरूमियों ने घेरा है
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सियाह रात के जंगल खंगालता हूं मै
किसी ने मुझसे कहा था यहीं सवेरा है