क़अता
ज़माने भर का दुःख है उसको कैसे वो समझायेगा,
आ भी जाओ मेरी मानो वरना मर वो जायेगा,,
इस तरह से चीखेगा वो इस तरह चिल्लाएगा,
उसको ना मिली जो तुम तो वो पागल हो जायेगा,,
अर्पित शर्मा “अर्पित”
ज़माने भर का दुःख है उसको कैसे वो समझायेगा,
आ भी जाओ मेरी मानो वरना मर वो जायेगा,,
इस तरह से चीखेगा वो इस तरह चिल्लाएगा,
उसको ना मिली जो तुम तो वो पागल हो जायेगा,,
अर्पित शर्मा “अर्पित”