मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
क्या आसमां और क्या जमीं है,
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
*जाने कब अब उन से कुर्बत होगी*
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,