संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
होली आ रही है रंगों से नहीं
तालाब समंदर हो रहा है....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं जो कुछ हूँ, वही कुछ हूँ,जो जाहिर है, वो बातिल है
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
समस्याओं से भागना कायरता है
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'