शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
गुरु...! गूगल दोनों खड़े, काके लागूं पाय....!
मेरी तो गलतियां मशहूर है इस जमाने में
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
आंखो के पलको पर जब राज तुम्हारा होता है
चंद्रकक्षा में भेज रहें हैं।