बाकई में मौहब्बत के गुनहगार हो गये हम ।
*गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम (कुंडलिया)*
सजन हमने लगाई है तुम्हारे नाम की मेंहदी
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
ना जाने किस मोड़ पे भाग्य किसी का बदल जाए!
Growth requires vulnerability.
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
एक मुस्कान के साथ फूल ले आते हो तुम,
*** हम दो राही....!!! ***