ॐ नमः शिवायः
।।ॐ नमः शिवायः।।
श्रवण मास शिव भजकर ।
लोभ मोह को तजकर ।
चल शरण शिव की तू ,
भक्ति भाव से तरकर ।
दाता हैं शिव त्रिपुरारी ,
देते हरदम झोली भरकर ।
कटते सारे शूल जगत के ,
जपता चल बस हर हर ।
मुक्त रहे मन भय काल से ,
दर्शन तू महाकाल के कर ।
अनाथ नही है तू जग में ,
नाथ खड़े विश्वनाथ बनकर ।
पाता है मन वो सोम समान ,
बसे ध्यान जिसके सोमेश्वर ।
राम कहाँ है दूर कभी उससे ,
नित जाप करे जो रामेश्वर ।
चलता चल शिव छाँव तले ,
“निश्चल” मन हर हर कर ।
“निश्चल” मन हर हर कर ।
।।ॐ नमः शिवायः।।
… विवेक दुबे”निश्चल”@…