ॐ की ध्वनि
ॐ की ध्वनि
ब्रह्मांड में गूंजता स्वर जो मन के अंदर सुनाई देता है
ॐ की ध्वनि इसका सीधा संबंध परमेश्वर से होता है
भौतिक और आध्यात्मिक शांति का सूचक मंत्र ॐ है
सूक्ष्म इंद्रियों से करते जब- जब इसकी अनुभूति हम
तीन अक्षरों से बना यह पूरे ब्रह्मांड का सार कहता है
संपूर्ण ब्रह्मांड अनवरत इसका ना आरंभ है ना अंत है
जब ‘अ’और ‘उ’को जोड़ा जाता ओ अक्षर बन जाता
परिणामस्वरूप ध्वनि ‘ओ’ स्वाभाविक ही आ जाता है
जो करता चिंतन मनन समस्त परेशानियों से मुक्त है
ॐ में अंत की ध्वनि ‘म’ जब होंठों को हमारे जोड़ती
मुख बंद होता और अंत का प्रतीक यह कहलाता है
सार्थकता में महत्वपूर्ण व निभाती रहस्यात्मक ज्ञान है
ॐ की ध्वनि का उद्देश्य वैदिक परंपरा हमें सिखाना
पंरपरा सिखाकर नकारात्मकता को दूर कर देती है
जब-जब करो उच्चारण सकारात्मक ऊर्जा भर देती है
परमात्मा की स्तुति ,प्रलय का संपादन इसमें निहित
जीवन की शक्ति ओम इस संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है
इसके जाप से मन मस्तिष्क में होता शांति संचार है
सर्वत्र व्याप्त इस ध्वनि को ईश्वर के समानार्थ माना
तभी समस्त वेद इसकी महत्ता की व्याख्या करता है
चिह्न ‘ॐ’ अद्भुत पूरे ब्रह्मांड को प्रदर्शित करता है
ओम शब्द ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक होता
चिंतन करके व्यक्ति सहस्त्र पापों से मुक्त हो जाता है
ब्रह्मांड में गूंजता स्वर जो मन के अंदर सुनाई देता है
सोनी गुप्ता
नई दिल्ली-19