((((हक़ीक़त))))
चाहतों के सिले युही नही मिलते,
ज़रा ज़मीं पे आसमां को उठा के तो देखो.
हर कोई चाहता है बाहों में खेलना,
ज़रा जुदाई में किसी पत्थर से टकरा कर तो देखो.
आसान नही सफर मोहब्बत का,
ज़रा कांटो पर कदम टिका कर तो देखो.
ओ मोहब्बत करने वालो क्या रखा कसमें वादों में,
ज़रा दिल से इश्क़ निभा कर तो देखो.
फिल्मी बातें तो बहुत कर लेते हो,
ज़रा हक़ीक़त के अंजाम में आकर तो देखो.
मिट जाता है ख़्वाब मोहब्वत,
ज़रा ज़माने को आँख दिखा कर तो देखो.
दो मिनट में होती है जो गहरी मोहब्बत,
कभी जुदाई के इंतज़ार में रातें बिता कर तो देखो।