ह्रदय रोग की महिमा( हास्य कविता)
ना कैंसर ना टीबी ,
ना ही करोना महारोग ।
मरने के लिए हमारी पसंद है ,
हृदय रोग ।
हैं यह उच्च कोटि का रोग ,
जो होता है राजा महाराजाओं और
शहंशाहों को ।
या होता है प्रेम रोगियों को ।
शायर भी इससे अछूते नहीं।
दिल के मारों को होता है यह रोग ,
पत्थर दिल वालों को नहीं ।
क्योंकि जिसके सीने में होगा ,
एक धड़कता हुआ दिल ,
वहीं तो भावनाओं में डूबेगा / उतरेगा ।
और डूबेगा / उतरेगा वही तो चोट खायेगा ।
और पकड़कर फिर अपने नन्हे से दिल को
खामोशी से जहां से चला जाएगा ।
बस एक पल का दर्द और फिर काम तमाम,
तो बस इसीलिए हमें पसंद है मरने के लिए हृदय रोग ।
ईश्वर से हमारी यही है कामना ,
आन पड़े जब ऐसा वक्त तो हमारी
बांह थामना ।
ना तड़पन ,ना डर ,ना संताप ,ना ही कोई गम ,
हमें मौत का यही तरीका अता फरमाना ।
हमें प्यारा है हृदय रोग ।