हौसले के बिना उड़ान में क्या
हौसले के बिना उड़ान में क्या
देखना फिर है आसमान में क्या
हर खुशी ज़िंदगी की तुमसे है
है तुम्हारे सिवा जहान में क्या
सच की तस्वीर खींच कर रख दी
और कहते भी हम बयान में क्या
खौफ में भूल ही गए हम तो
लिख के आए हैं इम्तिहान में क्या
सोचना होगा एक दिन तो ये
करना है उम्र के ढलान में क्या
जो महल जैसा हो मगर खाली
रहना ऐसे किसी मकान में क्या
ज़िस्म ज़ख्मी है दिल बचा अब तक
तीर कोई नहीं कमान में क्या
धर्म के नाम पर करो झगड़े
ऐसा लिक्खा है संविधान में क्या
‘अर्चना’ कुछ तो बोलिए खुलकर
कोई ताला लगा ज़ुबान में क्या
14.02.2024
डॉ अर्चना गुप्ता