हौसलें दरमियान
**हौसलें दरमियान**
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गर हौसलें दरमियान हैं
मुक्म्मल सदा उड़ान हैं
नभ में नभचर रहें उड़ते
कभी किसी से न डरते
स्वछंद व्योय में विचरते
अहेरी से भी न घबराते
हर्षित करते गुणगान है
मुक्म्मल सदा उड़ान है
मकड़ी जाल बुनती है
बारम्बार फिसलती है
राहों में नहीं रुकती है
गिरती रहती चढ़ती है
मिले मंजिल परवान है
मुक्म्मल सदा उड़ान है
चट्टानें हों ठोस कितनी
धारा से मिलती जितनी
घर्षण से रहती घिसती
जल आगे नहीं टिकती
निश्चित निज स्थान है
मुक्म्मल सदा उड़ान है
चहुंओर भरी हताशा हो
जिंदगी बनी तमाशा हो
सदैव आगे बढ़ते रहना
तनिक पीछे मत हटना
सुखविंद्र करे बखान है
मुक्म्मल सदा उड़ान है
गर हौसलें दरमियान है
मुक्म्मल सदा उड़ान है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)