हौसला
जख्म देती इस ज़िन्दगी को समर्पित कुछ पंक्तिया।
मैं तो दरिया हूँ बहता ही चला जाऊंगा,
तू जख्म दे मैं सहता ही चला जाऊंगा,
तू ना सोच खुश्बू कभी कम होगी मेरी,
मैं तो”चंदन” हूँ महकता ही चला जाऊंगा।
अभिषेक भारती”चंदन”
जख्म देती इस ज़िन्दगी को समर्पित कुछ पंक्तिया।
मैं तो दरिया हूँ बहता ही चला जाऊंगा,
तू जख्म दे मैं सहता ही चला जाऊंगा,
तू ना सोच खुश्बू कभी कम होगी मेरी,
मैं तो”चंदन” हूँ महकता ही चला जाऊंगा।
अभिषेक भारती”चंदन”