हौसला
क़ोई यूँही नही एक नजीर बन जाता है
जो ढलता सूरज समझता वही उगता पाता है
गिरना उठाना और उठना गिरना
जीवन के दो ही पहलू हैं
जो साध लिया इन दोनों को
वो ही तो प्रज्ञ कहाता हैं
मानो इन बातों को जीवन का वन पखवारा हैं
दुःख सुख को साधती और सुख जीवन को लहराता हैं
जो ताम्र विचारो को तज के
जीवन जी ले जाता है
वह इंद्रधनुष सा बारिश में
सत लोगो को ललचाता हैं
चलो मानते है तुम सच हो
क्या झूठा मैं बेचारा हूँ
ज्ञान का दर्शन शून्य हुआ
जब जीवन कुछ कह जाता हैं
हार कोई मुझसे पूछे
हँस कर के मैं कह जाता हूँ
ना कर पाया उसको छोड़ो
लो अब कर के दिखलाता हूँ
साधो सक्ति और विचार करो
की क्या क्या तुम कर सकते हो
तुम उगते सूरज जैसे हो
मैं तो दीपक कहलाता हूँ
महेंद्र राय
9935880999